जैतून की खेती (Olive
Farming): जैतून अपने औषधीय गुणों के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसका उपयोग सौन्दर्य
प्रसाधनों और दवाइयों के निर्माण में भी किया जाता है। जैतून के तेल में एंटी आक्सीडेंट, विटामिन, एओलिक एसिड और फिनोल काफी मात्रा में पाए जाते
हैं। इसके अलावा जैतून कोलेस्ट्रोल नियंत्रण में भी यह कारगर है। इसलिए बाजार में
जैतून की काफी मांग रहती है। किसान जैतून की खेती (Olive Farming) करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
जैतून की खेती पौधों
से तेल प्राप्त करने के लिए की जाती है | दुनिया के तक़रीबन
सभी देशो में जैतून के तेल की बहुत अधिक मांग रहती है | यदि भारत में भी जैतून की खेती
की जाए, तो किसान भाई अधिक आय के
साथ-साथ अर्थव्यवस्था में भी सुधार ला सकते है | जैतून का उपयोग खाद
तेल बनाने के अलावा सौन्दर्य प्रशाधन व दवाइयों को बनाने के लिए भी करते है | बड़े-बड़े होटलो में
भी जैतून के तेल का इस्तेमाल किया जाता है | जिस वजह से इसकी कीमत
भी अधिक रहती है | जैतून
के फलो का इस्तेमाल स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए करते है, तथा इसमें विटामिन, एंटी आक्सीडेंट, फिनोल और एओलिक एसिड
की अधिक मात्रा पायी जाती है, जिस वजह से इसका तेल पेट संबंधी
और कैंसर की बीमारी में भी लाभकारी है |
यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने और
दिल की बीमारियों के लिए भी कारगर है | इससे पहले भारत में जैतून की खेती नहीं की जाती
थी, किन्तु
वर्तमान समय में जैतून का उत्पादन होने लगा है |
जैतून की बुआई का समय
पौधों की रोपाई जुलाई से अगस्त और दिसंबर से जनवरी माह में की
जाती है।
जैतून की खेती के लिए 6.5 से 8.0 पीएच मान वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती
है। जैतून का पौधा बोरोन, कैल्शियम
और क्षारीय
मिट्टी में ठीक से
उगता है, मगर उपज कम
मिलती है।
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पौधों को खेत में लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर
लें।
·
पौध रोपाई के लिए खेत में 3X3 के आकार वाले गड्डों को तैयार कर
लें,
·
इन गड्डो में 40 से 50 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद के
साथ दीमकरोधी दवा का छिड़काव कर गड्डों को तीन से चार दिन के लिए
छोड़ दें।
·
इसके बाद इन गड्डों के मध्य में एक छोटा सा गड्डा बनाकर उसमें
जैतून के पौधों को लगा दें।
·
खेत में लगाए गए इन पौधों के मध्य 6 मीटर की दूरी रखें।
·
पौधे में अतिरिक्त शाखाएं आने पर बीच-बीच में कटाई-छटाई करते
रहें।
फसल अवधि
जैतून के पौधे से रोपाई के 3 से 4 वर्ष बाद फल आने शुरू हो जाते
हैं। इसके पौधों में शुरू में आने वाले फलों से 10 से 15 प्रतिशत तेल प्राप्त होता है।
लेकिन जब पौधा 7 से 8 वर्ष पुराना हो जाता है, तो 15 से 18 प्रतिशत तक तेल की मात्रा प्राप्त
की जा सकती है। फलों को तुड़ाई 4 से 5 पांच बार
की जाती है।
जैतून की खेती में सिंचाई प्रबंधन
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रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई जरूर करें।
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खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखें।
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10-15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करते रहे।
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सिंचाई के लिए टपक सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें।
उपज और कीमत की जानकारी
जैतून की खेती एक हेक्टेयर में 475 तक पेड़ लगाए जा सकते हैं। इनसे 20 से 27 क्विंटल तक तेल का उत्पादन मिल
जाता है। बाजार में जैतून की कीमत 180 से 200 रूपए तक होती है। किसान प्रति
हेक्टेयर जैतून की खेती से 3 से 5 लाख रुपए
तक की कमाई कर सकते हैं।
भारत में जैतून का उत्पादन (Olive Cultivation India)
भारत में जैतून की
खेती अभी कुछ ही जिलों में की जा रही है, तथा आने वाले समय में
राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, चूरू और हनुमानगढ़
जिलों के तक़रीबन 200 हेक्टेयर के क्षेत्र में जैतून की फसल करने के लक्ष्य रखा
गया है | इसके
अलावा अन्य जिलों में भी प्रायोगिक तौर पर इसकी खेती कर सकते है | वर्ष 2008
में
एक लाख 12 हज़ार पौधों को इजराइल के सहयोग से राज्यों में आयात किया गया था | इजराइल की जलवायु और
भूमि राजस्थान के जैसी ही है | इसके अलावा वर्ष 2008-10
में
राज्य की सरकारी भूमि में जैतून की खेती के लिए सात कृषि क्षेत्रों को तैयार
किया गया था | वर्ष
2015-16 में जैतून की खेती का विस्तार 296 हेक्टेयर था |
विश्व में जैतून उत्पादन वाले देश (Olive Producing Countries in the World)
विश्व में जैतून की
खेती बहुत ही पुराने समय से की जा रही है | इसका उत्पादन करने
वाले भूमध्य क्षेत्रों में उत्तरी पश्चिम सीरिया, फिलिस्तीन , साइप्रस और लेबनान
देश शामिल है, तथा
अमेरिका, ट्यूनीशिया, तुर्की, मोरक्को, स्पेन, सीरिया, पुर्तगाल, मिश्र और इटली जैतून
का अधिक उत्पादन करने वाले मुख्य देश है | इसका पौधा 3 से 10 मीटर तक ऊँचा हो सकता
है, जो
लम्बे समय तक उपज देने के लिए जाना जाता है |
जैतून
के लाभ (Olives Benefits)
- इसमें खनिज लवण, प्रोटीन
व विटामिन्स जैसे पोषण पाए जाते है, तथा ताजे
फलो से 14
प्रतिशत तेल, 2 प्रतिशत
प्रोटीन,
75 प्रतिशत पानी, 6 प्रतिशत
भस्म,
4 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट व 1 प्रतिशत
रेशा मिल जाता है |
- शरीर के स्वास्थ के लिए जैतून का तेल अधिक लाभकारी है |
- यह शरीर में मौजूद ख़राब कोलेस्ट्रॉल को कम कर हृदय
संबंधित बीमारियों को कम करता है |
- यह कैंसर की बीमारी को दूर कर पाचन क्रिया को स्वस्थ
रखता है |
- जैतून का मुख्य उपयोग तेल निकालने के लिए करते है |
- इसके अलावा इसे सलाद और अचार में भी इस्तेमाल कर रहे
है |
- जैतून में पोली अन्सेच्युरेटेड फैटी एसिड की प्रचुर
मात्रा होती है,
जो हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है, जिस वजह
से यह दिल की बीमारी वाले रोगियों के लिए उपयुक्त होता है |
जैतून की खेती के लिए जलवायु (Olive Cultivation Climate)
जैतून का पौधा
सदाबहार होता है, किन्तु
पतझड़ के मौसम में पौधों को 400 से 2000
उदासीन
घंटो की जरूरत होती है | समुद्र
तल से 650-2300 मीटर ऊँचे क्षेत्रों में जैतून की खेती आसानी से कर
सकते है | बारिश
के मौसम में इसके पौधों के लिए 100-120 CM वर्षा पर्याप्त होती
है | जैतून
के अच्छी पैदावार के लिए 15 से 20 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है, तथा पौधे अधिकतम 12.2
डिग्री
तापमान को ही सहन कर सकते है |
जैतून की खेती के लिए भूमि (Olive Cultivation Land)
जैतून की खेती के लिए
उचित जल निकासी वाली भूमि की जरूरत होती है, किन्तु इसे अलग-अलग
मिट्टियो में भी उगाया जा सकता है | इसकी खेती में अम्लीय
और क्षारीय भूमि जिसका P.H. मान 6.5 से 8.0 के मध्य हो उचित होती है | इसके पौधा कैल्शियम
कैल्शियम और बोरोन मिट्टी में अच्छे से वृद्धि करता है, किन्तु पैदावार कम
मिलती है | सख्त
भूमि में जैतून की फसल बिल्कुल न उगाए |
जैतून की उन्नत
किस्में (Olives
Improved Varieties)
यह देर से तैयार होने
वाली किस्म है, जिसमे
निकालने वाले फल माध्यम आकार का और शीर्ष गोलाकार होता है, तथा पकने के बाद फल का रंग बैंगनी हो
जाता है | इसके
प्रत्येक पौधे से 15 से 20 KG की उपज मिल जाती है | जिसमे 26 फीसदी तक तेल की
मात्रा होती है |
कोराटीना
इस किस्म की पैदावार
अनियमित होती है, जिसके
प्रत्येक पौधे से 10 से 15 KG की उपज मिल जाती है | इस किस्म के फलो से 22 से 24 प्रतिशत तक तेल मिल
जाता है, फलो
का आकार सामान्य और रंग बैंगनी होता है |
लैक्सिनो
यह देर से पैदावार
देने वाली एक किस्म है | जिसका
प्रति पौधा उत्पादन 10 से 15 KG है | इसके फल का आकार
माध्यम और अंडाकार होता है, तथा
फल पकने के पश्चात् बैंगनी रंग का हो जाता है | इस क़िस्म में पौधे
अधिक फैलावदार होते है, इसलिए
कांट छाट कर पौधों का विशेष ध्यान रखा जाता है |
एस्कोटिराना
इस क़िस्म को पैदावार
देने में कम समय लगता है, तथा
पैदावार भी अच्छी मिल जाती है | इसके एक पौधे से 20 से 25
KG फल
मिल जाते है, तथा
फलो से 20-22 प्रतिशत तक तेल मिल
इस क़िस्म में
निकालने जाता है | इसमें
जैतून का फल बैंगनी रंग का और आकार सामान्य से थोड़ा छोटा होता है |
एस्कोलानो
वाला फल आकार में
बड़ा और वजनदार होता है| इसके
एक पौधे से 7 से
10 KG की पैदावार मिल जाती है, और 10 से 17 प्रतिशत तक तेल मिल
जाता है | फल
पकने के बाद बैंगनी रंग ले लेता है |
पैंडोलीनो
जैतून की यह एक देर
से पकने वाली क़िस्म है, जिसमे
एक पौधे से 15 से 18 KG पैदावार मिल जाती है, और 20 प्रतिशत तक तेल मिल
जाता है | इसमें
फल पकने के बाद बैंगनी रंग का होता है, जो आकार में सामान्य
होता है |
इसके अतिरिक्त भी
जैतून की कई किस्में मौजूद है, जो इस प्रकार है :- अरबिकुना, कोरनियकी, फिशोलिना, बरेनिया और पिकवाल
आदि |
जैतून का पौध रोपण (Olives Planting)
जैतून के पौधों को
खेत में लगाने से पहले खेत को ठीक तरह से जुताई कर तैयार कर लेते है | इसके बाद पौध रोपाई
के लिए खेत में 3X3 के आकार वाले गड्डो को तैयार कर ले, इन गड्डो में 40 से 50
KG सड़ी गोबर की खाद के साथ दीमकरोधी दवा
का छिड़काव कर गड्डो को तीन से चार दिन के लिए ऐसे ही छोड़ दे | इसके बाद इन गड्डो के
मध्य में एक छोटा सा गड्डा बनाकर उसमे जैतून के पौधों को लगाए | खेत में लगाए गए इन
पौधों के मध्य 6 मीटर
की दूरी रखे, तथा
पौध रोपाई के पश्चात् ड्रिप विधि द्वारा सिंचाई कर दे |
जैतून के पौधों की छंटाई (Olive Plants Pruning)
जैतून के पौधे कुछ
अधिक फैलावदार होते है, तथा
बारिश के मौसम में पौधों पर अतिरिक्त शाखाए भी निकल आती है, ऐसे में पौधों की
छटाई कर दे, ताकि
एक पौधे की झाड़िया दूसरे पौधों को प्रभावित न कर सके | इसके अलावा पौधों पर
रोग ग्रस्त शाखाओ को काट कर अलग कर दे | पौधों की कटाई छटाई
बहुत ही ध्यान से करे, ताकि
फलो को किसी तरह की हानि न हो |
जैतून का पौध रोग व उपचार (Olive Plant Disease and Treatment)
एन्थ्रेक्नोज:- इस क़िस्म का रोग
जैतून के पौधों की पत्तियों और फलो पर आक्रमण करता है, जिससे प्रभावित होकर
पत्तो पर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते है | इस तरह के रोग से
बचाव के लिए जैतून के पौधों पर चूना 1600 GM+ कॉपर सल्फेट 1600
GM को
200 लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव जून के महीने में करे, तथा 3 सप्ताह के अंतर में
एक तरह के 5 छिड़काव
करे |
जैतून की पैदावार और कीमत (Olive Yield and Price)
जैतून
के पौधे पर रोपाई के 3 से
4 वर्ष
बाद फल आना आरम्भ कर देते है | इसके पौधों पर आरम्भ में आने
वाले से फलो से कम मात्रा में तेल मिलता है, जिसमे तेल 10 से 15 प्रतिशत तक मिलता है, किन्तु जब पौधा 7 से 8 वर्ष तक पुराना हो
जाता है, तो
15 से 18 प्रतिशत तक तेल की मात्रा हो जाती है | एक हेक्टेयर के खेत
में 475 तक पेड़ लगाए जा सकते है, जिससे 20 से 27 क्विंटल तक तेल का
उत्पादन मिल जाता है | जैतून
का बाज़ारी भाव 180 से 200 रूपए प्रतिकिलो होता है, जिस हिसाब से किसान
भाई जैतून की खेती कर 3 से
5 लाख
तक की कमाई कर सकते है |